वैज्ञानिक और वैज्ञानिक कर्मचारी की प्रोफाइल;
वानिकी और पारिस्थितिकी विभाग की स्थापना सन 1966 में, वैज्ञानिक समुदाय एवं विशेष रूप से वन प्रबंधकों के लिए वन संसाधन सूची, निगरानी और प्रबंधन के लिए एयरो-स्पेस सुदूर संवेदन की उपयोगिता पर प्रशिक्षण और कौशल विकास प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। वन आवरण मानचित्रण; अखिल भारतीय वायोम भारतीय वनों का चरित्रीकरण व भू-दृश्य स्तर पर जैव विविधता चरित्रीकरण तीन प्रमुख परियोजनायें हैं जो विभाग द्वारा योजनाबद्ध निष्पादित की गयी हैं। विभाग द्वारा किए गए कुछ अन्य महत्वपूर्ण अनुसंधान परियोजनाएं हैं: वन वर्धमान निधि और जैवभार मूल्यांकन; वन्यजीव निवास स्थान मॉडलिंग;सतत विकास योजना; राष्ट्रीय स्तर पर कार्बन प्रवाह माप और मॉडलिंग, अखिल भारतीय वनस्पति कार्बन पूल का आकलन; पारिस्थितिकी तंत्र की परिवर्तनशीलता और जल विज्ञान में मॉडलिंग; उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, रानीखेत और रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वन्यजीव पर्यावास मूल्यांकन; प्राकृतिक वनस्पति का अखिल भारतीय बायोम स्तर पर वर्गीकरण; घासीय मैदानों का मानचित्रण और क्षमता आकलन; विभाग की क्षमता निर्माण और अनुसंधान गतिविधियाँ इस प्रकार हैं-
- राजकीय विभागों के लिए वानिकी में सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र अनुप्रयोगों पर लघु पाठ्यक्रमों का आयोजन; वन कार्य योजना में सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र का उपयोग; वानिकी में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।
- राज्य के वन विभागों के लिए सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र पर भा.सु.सं.सं. दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से लघु पाठ्यक्रमों का आयोजन।
- राष्ट्रीय जरूरतों और मंत्रालयों की आवश्यकताओं के अनुसार विशेष पाठ्यक्रमों का आयोजन ।
विशेष पाठ्यक्रम:
- वन संसाधन और पारिस्थितिकी तंत्र विश्लेषण में विशेषज्ञता के साथ सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना तंत्र में एम.टेक पाठ्यक्रम ।
- वन संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र विश्लेषण में विशेषज्ञता के साथ सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम।
- विश्वविद्यालय संकाय के लिए एनएनआरएम एस – इसरो द्वारा प्रायोजित सर्टिफिकेट कोर्से
विशेष पाठ्यक्रम:
वानिकी एवं पारिस्थितिकी विभाग, उपयोगकर्ता के आवश्यकतानुसार विभिन्न अवधि के विशेष और अनुकूलित पाठ्यक्रम संचालित करता है। इन पाठ्यक्रमों का केंद्रविंदु वानिकी और संबंधित क्षेत्रों के लिए सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र का अनुप्रयोग व संबन्धित उपयोगकर्ता की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करना है:
- . कार्य योजना तैयार करने में सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र अनुप्रयोगों पर भारतीय वन सेवा अधिकारियों के लिए एक सप्ताह का रिफ्रेशर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम।
- बांग्लादेश वन विभाग से वन रेंज अधिकारियों के लिए कार्बन वानिकी में सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र अनुप्रयोगों पर एक विशेष पाठ्यक्रम।
- जम्मू विश्वविद्यालय से शोधर्थियो हेतु वानिकी और वन्यजीव अनुसंधान के लिए सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र के अनुप्रयोगों पर एक विशेष पाठ्यक्रम।
- यू.पी.आर.एस.ए.सी. परियोजना वैज्ञानिकों के लिए वानिकी अनुप्रयोगों में सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र पर एक उन्नत पाठ्यक्रम
- जैव विविधता चरित्रीकरण, प्रजाति वितरण मॉडलिंग, आक्रमक पादप जोखिम मॉडलिंग।
- वन जैव भौतिकी व जैव-रासायनिक मापदंडों पुनर्प्राप्ति के लिए उन्नत सेंसर (हाइपरस्पेक्ट्रल, LiDAR, माइक्रोवेव और जीपीआर) का संयुक्त उपयोग।
- वन उत्पादकता मूल्यांकन के लिए कार्बन पूल और प्रवाह माप।
- पारिस्थितिकी तंत्र भेद्यता मूल्यांकन, वनाग्नि जोखिम मॉडलिंग और पूर्वाकलन ।
- वनों और पारिस्थितिकी प्रणालियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव - माडलिंग प्रजाति विघटन और पादप समुदायों में परिवर्तन।
- पारिस्थितिक और वन्यजीव गलियारा मॉडलिंग और संयोजकता विश्लेषण।
वानिकी एवं पारिस्थितिकी विभाग अत्याधुनिक शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और वेब-सक्षम प्रसार सुविधाओं से सुसज्जित है:
- बड़कोट और हल्द्वानी में कार्बन प्रवाह टॉवर
- स्वचालित मौसम केंद्र (27 स्थापित)
- भो.स्थिति. प्रणाली (ट्रिम्बल, गार्मिन, आदि)
- स्पेक्टरों-रेडियोमीटर
- डिजिटल वन छत्र मापक यंत्र
- सेप्टोमीटर
- प्रकाश संश्लेषक विश्लेषक
- वृक्ष वृद्धि बोरर्स
- गोलाकार वन छत्र डेंसियोमीटर
- हरित लवक मीटर
- दूरबीन
- ट्री कैलिपर्स
- वानिकी प्रो हिप्सोमीटर
- डेंड्रोमीटर
पूर्ण हो चुकी परियोजनाए :
- पुरुलिया जिले में भौ.सू.तं. का उपयोग करते हुए बंजर भूमि विकास योजना।
- भारत में प्राकृतिक वनस्पति का बायोम स्तर का वर्गीकरण।
- भारत में सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना तंत्र का उपयोग करके स्तर पर जैव भू – दृश्य विविधता चरित्रीकरण।
- जैव विविधता सूचना प्रणाली
- भारतीय जैव संसाधन सूचना प्रणाली
- रणथंभौर टाइगर रिजर्व संरक्षण योजना, राजस्थान के लिए।
- राजाजी नेशनल पार्क में वन्यजीव पर्यावास मॉडलिंग और मूल्यांकन।
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में काजीरंगा संरक्षण क्षेत्र में पर्यावास मॉडलिंग।
- उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पारिस्थितिकी परिवर्तनशीलता और जल विज्ञान मॉडलिंग।
- पथरी राव उप-जल भरण क्षेत्र में सतत जलग्रहण विकास योजना।
- अरुणाचल प्रदेश के स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में कार्बन बजट का आकलन।
- हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में घासीय मैदानों का मानचित्रण और क्षमता का अनुमान।
- दार्जिलिंग हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन विश्लेषण के लिए भेद्यता।
- एस.ए.आर. का उपयोग करते हुए वन और वृक्षारोपण की विशेषताएं।
- उत्तरकाशी जिलॉ (उत्तराखंड) में भागीरथी नदी के किनारे पर्यावरण संवेदनशील ज़ोन का सीमांकन।
- वन संसाधन सूची (एसएसी) के लिए रिसैट सी-बैंड क्वाड-पोल आंकड़े की उपयोगिता।
- गौमुख से उत्तरकाशी तक भागीरथी जलग्रहण क्षेत्रों का पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र मानचित्रण
- भारत में राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों का मानचित्रण।
- राष्ट्रीय कार्बन परियोजना:वनस्पति कार्बन पूल मूल्यांकन।
- वन जैव–भौतिकी मापदंडों की पुनर्प्राप्ति के लिए (PolInSAR) आंकड़ो का मूल्यांकन
- जैवभार आकलन के लिए कई संवेदी यंत्रो से मापदंडों का अनुकूलन
- सतही वन जैवभार के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष-जनित LiDAR और प्रकाशिकी आंकड़े का अनुप्रयोग
जारी परियोजनाए :
- • पृथ्वी अवलोकन आंकड़ों द्वारा वन समुदाय स्तर पर जैव विविधता चरित्रीकरण (अन्तरिक्ष विभाग – जैव प्रोधोगिकी विभाग )
- वनस्पति-वायुमंडल कार्बन प्रवाह मॉडलिंग - राष्ट्रीय कार्बन परियोजना- अं.भू-मं.-जी.-मं.का.)
- भारतीय जैव संसाधन सूचना प्रणाली; चरण – III (अन्तरिक्ष विभाग – जैव प्रोधोगिकी विभाग )
- वायुवाहित एल और एस बैंड एस.ए.आर. द्वारा वन जैवभार और बाधा आकलन
- हिमालयन अल्पाइन जैव विविधता चरित्रीकरण और सूचना प्रणाली- तंत्र (हिमालयी अध्ययन के लिए राष्ट्रीय मिशन- प.व.ज.प.मं.)
- कई संवेदी यंत्रो के आंकड़ों का उपयोग कर पूर्वोत्तर भारत के उष्णकटिबंधीय जंगलों में कार्बन परिवर्तनशीलता आकलन (अं.भू-मं.-जी.-मं.का.))
- • उत्तर-पश्चिम हिमालय में वनस्पति ऋतुजैविकी-उत्पादकता और जलवायु संबंध का सुदृढ़ीकरण ( अन्तरिक्ष विभाग)
फ़ोन : 0135-2524171
ईमेल : fed[At]iirs[dot]gov[dot]in
पता : 4, कालिदास रोड, देहरादून- 248001 इंडिया