वैज्ञानिक और वैज्ञानिक कर्मचारी की प्रोफाइल;
समुद्री एवं वायुमंडलीय विज्ञान विभाग (एमएएसडी), पहले तटीय प्रक्रियाओं और समुद्री संसाधन प्रभाग (1986 में इसकी स्थापना के बाद से 1994 तक) तथा समुद्री विज्ञान प्रभाग (1994 से अगस्त 2010 तक) के नाम से जाना जाता था, यह विभाग अग्रलिखित क्षेत्रों में प्रशिक्षण, शिक्षा पाठ्यक्रम एवं अनुसंधान के अवसर प्रदान करता है: तटीय भू-आकृति विज्ञान और प्रक्रियाएँ; तटीय गतिशीलता और खतरे; समुद्र के जल स्तर में वृद्धि और तटीय जलक्षेत्रों में खारे पानी की घुसपैठ; मॉडलिंग एस्चुएरी और तटीय प्रक्रियाएं; उपग्रह समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान; समुद्र का रंग और प्राथमिक उत्पादकता; हवा समुद्र का मेल और जलवायु परिवर्तन; वायुमंडलीय ऐरोसोल, संख्यात्मक मॉडलिंग और डेटा आत्मसात; भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून अध्ययन; जलवायु मॉडलिंग; अत्यधिक वर्षा की घटनाएं; वायुमंडलीय गैसें; वैश्विक और क्षेत्रीय परिवहन मॉडलिंग; हवा की गुणवत्ता की निगरानी आदि।
विभाग ने इसरो/डॉस के विभिन्न अनुसंधान और परिचालन परियोजनाओं में योगदान दिया है। अंतःविषय प्रकृति के कारण, यह विभाग विभिन्न प्रशिक्षण और शैक्षिक कार्यक्रमों के तहत पाठ्यक्रम कार्य को आगे बढ़ाने के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग विषयों की विभिन्न शाखाओं के पेशेवरों और छात्रों को प्रोत्साहित करता है।
विभाग सक्रिय रूप से प्रौद्योगिकी विकास परियोजना (टीडीपी), इसरो-जीबीपी, ईओएएम, एनएपीसीसी, इन्सैट- 3डी यूटीलाइजेशन प्रोग्राम और ओशियनसैट II यूटीलाइजेशन प्रोग्राम के रूप में अनुसंधान और परियोजना कार्यों में संलग्न है। विभागीय वैज्ञानिकों ने इसरो और अन्य उपयोगकर्ता संगठनों द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं जैसे लैंड डिग्रेडेशन मानचित्रण, तटीय क्षेत्र मानचित्रण और निगरानी, ओशियन कलर प्रोजेक्ट, ऐरोसोल अध्ययन आदि में भी सक्रिय रूप से भाग लिया है।
नियमित पाठयक्रम:
- 1.एम. टेक. आरएस एंड जीआईएस ‘समुद्री और वायुमंडलीय विज्ञान’ में विशेषज्ञता के साथ (2 वर्ष का कार्यक्रम)।
- 2.समुद्री और वायुमंडलीय विज्ञान में प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन में पी.जी. डिप्लोमा (10 महीने का कार्यक्रम)।
- 3. पी.जी. डिप्लोमा (9 महीने का कार्यक्रम) एडवांस्ड आरएस एंड जीआईएस में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के पेशेवरों के लिए, अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी अध्ययन केंद्र, एशिया एवं प्रशांत (अंविप्रौअकें,एप्र),संयुक्त राष्ट्र के द्वारा प्रायोजित।
- 4.एनएनआरएमएस लघु पाठ्यक्रम (विश्वविद्यालय/संस्थान/कॉलेज शिक्षकों के लिए)।
- 5.‘पर्यावरण विज्ञान के लिए आरएस एंड जीआईएस की उपयोगिता’ पर ग्रीष्मकालीन विद्यालय।
इसके अतिरिक्त विभाग निम्नलिखित पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों को परियोजना के दौरान नियमित मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है:
- समुद्री/वायुमंडलीय विज्ञान में पीएच. डी.
- समुद्री और वायुमंडलीय विज्ञान में एम. टेक./पीजीडी
- स्नातकोत्तर और स्नातक स्तर के छात्रों का ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण।
विशेष पाठ्यक्रम:
- 1.रीडिंग विश्वविद्यालय, यू.के. के सहयोग से ‘डेटा एसिमिलेशन’ पर ग्रीष्मकालीन विद्यालय।
- 2.तटीय और समुद्री आपदा प्रबंधन और एशिया-प्रशांत देशों के जलवायु परिवर्तन के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों पर अंतर्राष्ट्रीय लघु पाठ्यक्रम।
- 3.प्रशांत देशों के लिए ‘तटीय खतरा, शमन और सतत विकास के लिए आरएस एंड जीआईएस अनुप्रयोग’ पर अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रम।
- 4.एशिया-प्रशांत देशों के लिए मौसम की संख्यात्मक भविष्यवाणी मॉडल का उपयोग करते हुए मौसम के पूर्वानुमान पर लघु पाठ्यक्रम।
- 5.‘मौसम विज्ञान और जलवायु विज्ञान अनुप्रयोगों के लिए भू-विज्ञान’ पर विशेष पाठ्यक्रम।
- उत्तर पश्चिम हिमालयी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं का अध्ययन एवं सुदूर संवेदन द्वारा वर्षा की गणना (ईओएएम परियोजना)
- उपग्रहीय डेटा का उपयोग करके भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून मौसम का नैदानिक अध्ययन (टीडीपी)
- भारत में ऐरोसोल रेडिएटिव फोर्सिंग (इसरो-जीबीपी)
- इन्सैट-3डी साउंडर टिप्पणियों के लिए गणना एल्गोरिदम का विकास (इन्सैट-3डी उपयोग परियोजना)
- ओशियनसैट 2 डेटा से एवी की गणना (ओशियनसैट II परियोजना)
- भारतीय उपमहाद्वीप में वायु प्रदूषकों का अध्ययन: श्रोत क्षेत्रों की जांच (इसरो-जीबीपी एटीसीटीएम)
- गुजरात, भारत में निचले स्तर के तटीय समुद्री जलस्तर में वृद्धि और फलस्वरूप तटीय जलक्षेत्रों में खारे पानी का प्रवेश (एनएपीसीसी परियोजना)
- अंतरिक्ष-जनित इनसार और पोलसार डेटा का उपयोग करके सुंदरबन के आसपास बंगाल की खाड़ी की तटीय गतिशीलता अध्ययन (टीडीपी)
- भारत के समुद्री तटों के निकट एस्चुरीन एवं तटीय प्रक्रियाओं को समझना और मॉडलिंग करना (टीडीपी)
- देहरादून पर सूक्ष्म गैसों का अध्ययन: ओज़ोन और इसकी जन्मदाता गैसों के वितरण पर रासायनिक और वायु गतिशीलता प्रक्रियाओं की भूमिका (टीडीपी)।
विभाग कई अनुसंधान परियोजनाओं में भी संलग्न है और देश के कई अनुसंधान संगठनों और विश्वविद्यालयों का सहयोगी है जैसे आईआईएससी बेंगलुरू, जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, एनआईओटी चेन्नई, एसपीएल, वीएसएससी त्रिवेन्द्रम, एआरआईईएस नैनीताल, जेएनयू दिल्ली, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की, दून विश्वविद्यालय। विभाग विभिन्न प्रकार की प्रयोगशाला, क्षेत्र उपकरण और अनुभवजन्य मॉडलों से सुसज्जित है जिन्हें छात्र नियमित रूप से अपने प्रशिक्षण और अनुसंधान परियोजनाओं के लिए उपयोग करते हैं।
उपकरण माप के लिए सहयोग
- अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला, वीएसएससी के आर्फी नेटवर्क के सौजन्य से, ऐरोसोल मापन उपकरण और रेडियोसोंडे गुब्बारा प्रयोग।
- राष्ट्रीय कार्बन परियोजना के लिए राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र।
- कार्बन डाइऑक्साइड के मापन के लिए एनएआरएल, पीआरएल (माउंट आबू ऑब्जर.)।
- ओज़ोन, ऐरोसोल अध्ययन और कार्बन डाइऑक्साइड से संबन्धित अवलोकन उपकरणों के संबंध में एआरआईईएस, नैनीताल।
- बायोमास दहन और ऐरोसोल अध्ययन से संबन्धित अध्ययन के लिए भौतिकी विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला।
फ़ोन : 0135-2524179
ईमेल : masdoffice[At]iirs[dot]gov[dot]in
पता : 4, कालिदास रोड, देहरादून- 248001 इंडिया